पन्ना एक आविष्कार








पन्ना को आविष्कार कहे तो कोई गलत बात नही होगी ।
इस आविष्कारो की धरती में ऐसे कई खोज निकले है जो बाघो के संरक्षण और वन्य जीव संवर्धन में एक नया मुकाम बना दिया है । जहा ये टाइगर रिज़र्व बाघ विहीन हो गया था । वहां अब बाघो की दहाड़ गूंजती है ।
शुरू से शुरू करते है 
2006-07 आते आते तक ये पता चल चुका था कि अब पन्ना टाइगर रिज़र्व में कोई बाघिन नही है । और ये खबर पता ही नही इसमे सरकार की मुहर भी लग गयी थी । उस समय जहा भारत की सरकार , वन जीव संस्थान और उनके अधिकारी ये कह रहे थे कि भारत वन्यजीव के संरक्षण को एक नई दिशा दे रहा है और और वन्यजीव बहुतायत में फल फूल रहे थे । शायद इस संरक्षण की दिशा ही उल्टी हो गयी थी । वो एक दौर था जब बहुत अधिक मात्रा में वनजीवो के अंगों की तस्करी हुआ करती थी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी अच्छी कीमत मिला करती थी । और भारत इसका एक प्रमुख बाजार बन गया था । और इसका असर भी दिखा , पहले राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिज़र्व से सारे बाघ गायब हो गए और फिर बाद में पन्ना के सारे बाघ गायब हो गए । खैर इन पुरानी बातों में ज्यादा आनंद भी नही आता है । मैं एक आशावादी व्यक्ति हु इसलिए आइये उस समय की बात करते है जिस समय में वाकई में वन्यजीव संरक्षण में एक आशा जग गयी थी । इसकी शुरुआत हुई 2009 से  या फिर ये भी कह सकते है कि इसको शुरआत हुई एक सोच से जो एक समय के बाद विश्व प्रसिद्ध होने वाला था । ये सोच थी बाघ का पुनर्स्थापन 
क्या था ये । क्यों हुआ कैसे हुआ इसका बारे में अगले भाग में लिखूंगा ।
धन्यवाद 

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